राष्ट्रीय संगठन "सकल जटिया समाज" वर्तमान में समाज के सभी व्यक्तियों के सहयोग से कार्यरत है। इस संगठन को समाज में व्याप्त कुरीतियों तथा अंधविश्वास को समाप्त कर अच्छी सोच व समरसता के भाव तथा समाज अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, सभी को एकता के सूत्र में बांधने के प्रयास के साथ स्थापना की गई। तथा संगठन के संरक्षक डॉ. जगदीश जटिया जो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे एवं वर्तमान में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रूप में पदोन्नत होकर सचिवालय भोपाल में पदस्थ है। तथा समाज के प्रत्येक व्यक्ति को संगठन की समस्त गतिविधियों की अपडेट जानकारी समय समय पर प्राप्त होती रहे, इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर वेब साईट तैयार करवाई गई है। ताकि जब भी कोई नीतिगत निर्णय संगठन द्वारा लिया जावे वह समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक आसानी से तुरन्त पहुॅंच सके। इसमें समाज का हर व्यक्ति अपना सुझाव भी दे सकेगा। किन्तु सुझाव समाजहित एवं सकारात्मक हो। ऐसे किसी भी सुझाव पर संगठन विचार नहीं करेगा जो उद्देश्यहीन होगें।
सकल जटिया समाज समस्त समाज के बन्धुओं का हार्दिक अभिनन्दन करता है। आज जटिया समाज अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग जाति के नाम पर बंटा हुआ है, जिसकी वैधानिक सामाजिक पहचान बनाने के लिये सकल जटिया समाज का गठन किया गया है। इस संगठन में उन सभी समुदायों को सम्मिलित किया गया है, जिसमे आपस में बेटी व्यवहार है। जिसमे समाज की समस्या या अन्य कार्य जो समाज हित में हो उसका समुचित रूप से निदान करने में आने वाली बाधाओं का निराकरण किया जा सकें। तथा समाज में व्याप्तपारंपरिक कुरीतियाँ, शिक्षा का आभाव सामाजिक असमानता जैसे गंभीर विषय समाज की प्रगति में बाधक है। इसलिए अच्छे सोच एवं समरसता के भाव के साथ कार्य करने का संकल्प लेकर व्यवहारिकता में परिलक्षित करना होगा। इन्हीं लक्षों को ध्यान में रखकर अखिल भारतीय जटिया महासभा का गठन डॉ. जगदीश जटिया मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत दमोह के संरक्षण में 07 अप्रैल 2013 को किया गया। दिनांक 22 सितम्बर 2013 को प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन नीमच में आपके आशीर्वाद एवं सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। इसी क्रम संगठन का द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन मंदसौर में 14 अप्रैल 2014 को डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर के जयंति पर सम्पन्न हुआ। संगठन का पंजीयन सकल जटिया समाज के नाम से हुआ। इस संगठन में महिला एवं पुरुष दोनों ही की समान भागीदारी है।
समाजोत्थान के इस महायज्ञ में आपकी गरिमामय सहभागिता संगठन को संबल प्रदान करेगी। अतः आप सभी समाज बंधुओं, युवा साथियों, माताओं, बहिनों से करबद्ध निवेदन है कि इस संगठन में अधिक से अधिक संख्या में जुड़कर समाजहित में तन, मन, धन, अभूतपूर्व सहयोग प्रदान करने का कष्ट करें। सबसे महत्वपूर्ण की आज हम सभी अलग-अलग जातियों के नाम से बटे हुए है, इसलिए जितनी भी आरक्षित जातियों(अनुसूचित) को वर्तमान में एकजुट होने की आवश्यकता है। क्योंकि आज हमारे सामने आरक्षण का जो लाभ हम लोगो को मिल रहा है वह समाप्ति के कगार पर आ गया है। यदि एकजुटता नहीं दिखाई तो हमारी स्थिति आजादी के पूर्व से भी बदतर हालात में पहुँच जायेगी।
1. संस्थापक सदस्यता शुल्क रू. 5000/-
2. आजीवन सदस्या शुल्क रु. 1000/- एवं वार्षिकसदस्यता शुल्क रू. 20/-
1. समाज के प्रत्येक परिवार के 18 वर्ष से अधिक महिला/पुरुष को संगठन से परस्पर जोड़ना एवं सहयोग की भावना के लिए प्रेरित करना।
2. समाज के प्रत्येक परिवार के सदस्यों के हितों की रक्षा करना एवं शिक्षित करना एवं करवाना।
3. समाज के प्रत्येक परिवार के सदस्यों के व्यवसायिक, नैतिक एवं बौद्धिक स्तर को ऊँचा उठाना।
4. समाज के प्रत्येक परिवार के सदस्यों के लिए आदर्श आचरण संहिता बनाना एवं स्वप्रेरणा से पालन करवाना।
5. केन्द्रीय शासन एवं राज्य शासन से मिलने वाली समस्त प्रकार की सहायता योग्यता के आधार पर उपलब्ध करवाने में मदद करना।
6. प्रादेशिक एवं अंतर्राज्यीय संघो से पारस्परिक सहयोग एवं सम्बन्ध स्थापित करना एवं नैतिक समर्थन जुटाना तथा प्रदान करना।